नागरिकता संशोधन विधेयक राज्‍यसभा में पास, बिल के पक्ष में 125, विपक्ष में 105 वोट


नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद अब नागरिकता संशोधन विधेयक कानून बन जाएगा। संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौ(, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े, जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। बता दें कि लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। नागरिकता संशोधन विधेयक को होम मिनिस्टर अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया। इस बिल को लेकर एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू में लोकसभा में इस बिल का समर्थन देने के बाद दो मत सामने आए थे। बुधवार को जेडीयू ने राज्यसभा में इस बिल को समर्थन दिया है। इस बिल को पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि आज में एक ऐतिहासिक बिल लेकर सदन में उपस्थित हुआ हूं। इस बिल के प्रावधान में, लाखों करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है। उन्होंने कहा कि ये बिल उन लोगों को, जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता देने का बिल है। कुछ विशेष छूट भी इस निश्चित वर्ग के लिए हमने सोची हैं। साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकारों, उनकी भाषा, संस्कृति और उनकी सामाजिक पहचान को संरक्षित करने के लिए भी हम प्रावधान लेकर आये हैं। इस बिल को पास करने को लेकर जहां केन्द्र सरकार आश्वस्त है। वहीं सबकी निगाहें शिवसेना पर टिकी हुई हैं। बहुमत का जुगाड़ करने के लिए केन्द्र सरकार के रणनीतिकारों ने कई बैठकें की हैं। उधर, विपक्ष भी राज्यसभा में अपनी ताकत दिखाने का पूरा प्रयास कर रहा है। हालांकि, सरकार संख्याबल का जुगाड़ होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। माना जा रहा है कि सरकार अपने फ्लोर मैनेजमेंट के जरिए इस विधेयक को उच्च सदन में पारित कराने में कामयाब होगी। लोकसभा में समर्थन करने वाले शिवसेना और जदयू का रुख राज्यसभा में देखने लायक होगा। क्योंकि लोकसभा में विधेयक पारित होने के बाद दोनों दलों के नेताओं के विरोधाभासी सुर देखने को मिले हैं। हालांकि, सरकार के रणनीतिकार मान रहे हैं कि जिन दलों ने लोकसभा में विधेयक का समर्थन किया है वे किसी भी सूरत में राज्यसभा में विरोध में मतदान नहीं करेंगे।